डायबिटीज रोगी की आहार तालिका
डायबिटीज में खानपान का रखें खास ख्याल
ज्योति शर्मा
आज भारत में 4.5 करोड़ व्यक्ति डायबिटीज (मधुमेह) का शिकार हैं। इसका मुख्य कारण है असंयमित खानपान, मानसिक तनाव, मोटापा, व्यायाम की कमी। इसी कारण यह रोग हमारे देश में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। डायबिटीज चयापचय से संबंधित बीमारी है। इसमें कार्बोहाइड्रेट और ग्लूकोज का ऑक्सीकरण पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है।
इसका मुख्य कारण है। 'इंसुलिन की कमी'। इंसुलिन नामक हार्मोन पेनक्रियाज की इन्स्लैट ऑफ लैगरहैस द्वारा निकलता है, जो ग्लूकोज का चयापचय करता है। रक्त में ग्लूकोज की मात्रा सामान्य से ज्यादा तथा सामान्य से कम होना दोनों ही स्थितियाँ घातक सिद्ध होती हैं। इस रोग को प्रारंभिक अवस्था में आहार व्यायाम तथा दवाइयों द्वारा काबू में किया जा सकता है।
डायबिटीज में आहार की भूमिका
ऐसे रोगियों के आहार की मात्रा कैलोरी पर निर्धारित रहती है, जो कि प्रत्येक रोगी की उम्र, वजन, लिंग, ऊँचाई, दिनचर्या व्यवसाय आदि पर निश्चित की जाती है। इसके आधार पर प्रत्येक व्यक्ति की अलग-अलग आहार तालिका बनती है। हम यहाँ पर एक सामान्य डायबिटीज के रोगी की आहार तालिका दे रहे हैं। इसमें भोजन में समय एवं मात्रा पर विशेष ध्यान रखना अतिआवश्यक है।
आहार तालिका
सुबह 6 बजे : आधा चम्मच मैथीदाना पावडर+पानी।
सुबह 7 बजे : 1 कप बिना शक्कर की चाय +1-2 मैरी बिस्किट।
सुबह 8.30 बजे : 1 प्लेट उपमा या दलिया+आधी कटोरी अंकुरित अनाज+100 एमएल मलाईरहित बिना शक्कर का दूध।
सुबह 10.30 बजे : 1 छोटा छिलके सहित फल केवल 50 ग्राम का या 1 कप पतली छाछ बिना शक्कर की या नींबू पानी।
दोपहर का भोजन 12.30 बजे : 2 मिश्रित आटे की सादी रोटी, 1 कटोरी पसिया निकला चावल+1 कटोरी सादी दाल+1 कटोरी मलाईरहित दही+आधा कप सोयाबीन या पनीर की सब्जी +आधा कप हरी पत्तेदार भाजी+सलाद 1 प्लेट।
अपराह्न 4 बजे : 1 कप बिना शक्कर की चाय+1-2 मैरी बिस्किट या 1-2 टोस्ट।
शाम 6 बजे : 1 कप सूप। रात का भोजन 8.30 बजे : दोपहर के समान।
रात को सोते समय 10.30 बजे : 1 कप बिना शक्कर का मलाई रहित दूध।
* जब-जब भूख सताए तो उपयोग करें :
कच्ची सब्जियाँ, सलाद, काली चाय, सूप, पतली छाछ, नींबू पानी।
* इससे बचें : गुड़, शक्कर, शहद, मिठाइयाँ, मेवे।
* डायबिटीज के रोगियों के लिए सलाह :
*प्रतिदिन 35-40 मिनट तेज चलें।
* खाना एक साथ न खाकर थोड़ी-थोड़ी देर में थोड़ा-थोड़ा खाएँ।
* दिनभर के भोजन में तेल का इस्तेमाल 3-4 चम्मच (रिफाइंड) करें।
* भोजन आहार तालिका के अनुसार दिए हुए निर्धारित समय पर ही करें तथा निश्चित मात्रा में करें।
* भोजन में रेशेदार पदार्थों का सेवन ज्यादा करें। इससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है और रक्त में ग्लूकोज की मात्रा नियंत्रित रहती है।
* उपवास न करें और न ही खूब दावत उड़ाएँ। इस तरह अगर आप इन बातों पर अमल करेंगे तो आप स्वयं इस रोग को नियंत्रित कर सकते हैं।
-इसका मुख्य कारण है। 'इंसुलिन की कमी'। इंसुलिन नामक हार्मोन पेनक्रियाज की इन्स्लैट ऑफ लैगरहैस द्वारा निकलता है, जो ग्लूकोज का चयापचय करता है। रक्त में ग्लूकोज की मात्रा सामान्य से ज्यादा तथा सामान्य से कम होना दोनों ही स्थितियाँ घातक सिद्ध होती हैं। इस रोग को प्रारंभिक अवस्था में आहार व्यायाम तथा दवाइयों द्वारा काबू में किया जा सकता है।
डायबिटीज में आहार की भूमिका
ऐसे रोगियों के आहार की मात्रा कैलोरी पर निर्धारित रहती है, जो कि प्रत्येक रोगी की उम्र, वजन, लिंग, ऊँचाई, दिनचर्या व्यवसाय आदि पर निश्चित की जाती है। इसके आधार पर प्रत्येक व्यक्ति की अलग-अलग आहार तालिका बनती है। हम यहाँ पर एक सामान्य डायबिटीज के रोगी की आहार तालिका दे रहे हैं। इसमें भोजन में समय एवं मात्रा पर विशेष ध्यान रखना अतिआवश्यक है।
आहार तालिका
सुबह 6 बजे : आधा चम्मच मैथीदाना पावडर+पानी।
सुबह 7 बजे : 1 कप बिना शक्कर की चाय +1-2 मैरी बिस्किट।
सुबह 8.30 बजे : 1 प्लेट उपमा या दलिया+आधी कटोरी अंकुरित अनाज+100 एमएल मलाईरहित बिना शक्कर का दूध।
सुबह 10.30 बजे : 1 छोटा छिलके सहित फल केवल 50 ग्राम का या 1 कप पतली छाछ बिना शक्कर की या नींबू पानी।
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अपराह्न 4 बजे : 1 कप बिना शक्कर की चाय+1-2 मैरी बिस्किट या 1-2 टोस्ट।
शाम 6 बजे : 1 कप सूप। रात का भोजन 8.30 बजे : दोपहर के समान।
रात को सोते समय 10.30 बजे : 1 कप बिना शक्कर का मलाई रहित दूध।
* जब-जब भूख सताए तो उपयोग करें :
कच्ची सब्जियाँ, सलाद, काली चाय, सूप, पतली छाछ, नींबू पानी।
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* डायबिटीज के रोगियों के लिए सलाह :
*प्रतिदिन 35-40 मिनट तेज चलें।
* खाना एक साथ न खाकर थोड़ी-थोड़ी देर में थोड़ा-थोड़ा खाएँ।
* दिनभर के भोजन में तेल का इस्तेमाल 3-4 चम्मच (रिफाइंड) करें।
* भोजन आहार तालिका के अनुसार दिए हुए निर्धारित समय पर ही करें तथा निश्चित मात्रा में करें।
* भोजन में रेशेदार पदार्थों का सेवन ज्यादा करें। इससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है और रक्त में ग्लूकोज की मात्रा नियंत्रित रहती है।
* उपवास न करें और न ही खूब दावत उड़ाएँ। इस तरह अगर आप इन बातों पर अमल करेंगे तो आप स्वयं इस रोग को नियंत्रित कर सकते हैं।
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